One of the blunders that India has committed is to ignore her artisans and rural industries in planning process for development. No country, particularly the industrialized ones, has achieved that status without making their artisans as an important part of the process and making their rural industries as the base for modern industrialization. Modern industrialization is phenomenon of development and application of science and technology in production. Science and technology develops in research institutions and universities by scientists and academicians. However the application of the same happens in industry through the practitioners who are none other than the artisans and the technicians coming from the traditional sector. There has to be a proper synergy and complementariness of the two. This is really missing in India. There is a huge scope to bring that in through start-ups and entrepreneurship. The power loom sector, the automobile sector, the repair and maintenance sector and in fact the “Jugaads” technologies seen all-around are demonstrative of what this kind of interphase can do in the industrial sector. It needs to be carried out in a more formal and organized way in order to bring out the best of the both, the modern sector as well as the traditional sector.
गाँव में उत्पादन करना, रोजगार बढ़ाना, लोगों की आमदनी बढ़ाना एक अति आवश्यक काम है जो इस कार्यक्रम के माध्यम से होगाI जो भी काम इस कार्यक्रम के माध्यम से लिए जायेंगे उनका स्वरुप उद्योग एवं रोजगार का ही होगाI गाँव की उपज का एक बड़ा भाग गाँव में ही संसोधित कर मूल्य वर्धन किया जाये ताकि किसानों को उच्च मूल्य प्राप्त होंI लोगों को काम मिलेगा, रोजगार बढ़ेंगे, आमदनी बढ़ेगी तो वे अपनी सुख सुविधाओ के लिए व्यय भी कर सकेंगे जिससे गाँव का आर्थिक तंत्र सुदृढ़ होगा, गतिशील होगा, राजस्व बढ़ेगा और कार्यक्रम अपने पैरों पे स्वयं खड़े होने की तरफ अग्रसित होगाI ऊपर कार्यक्रम में यह माना गया है की देश भर में ६ हजार समूहों के माध्यम से ६० हजार प्रकल्प चलेंगे और एक एक प्रकल्प पर २ करोड़ रूपये खर्च हो सकते हैं जिनके लिए कोई अलग से व्यवस्था करने की आवश्यकता नही है अपितु सरकार की वर्तमान योजनाओं के माध्यम से ही यह राशि प्रकल्प के रूप में गांवों के समूहों को प्राप्त होगीI एक समूह १०० गाँव का होगाI कार्यक्रम इस रूप में चलाया जायेगा की समूह में हर गाँव की भागेदारी हो और हर गाँव से औसतन दस व्यक्तियों को पूर्णकालिक रोजगार मिलेI इस तरह से ६० लाख व्यक्तियों को पूर्णकालिक रोजगार मिल सकेगाI एक पूर्णकालिक व्यक्ति अन्य १० व्यक्तियों को औसतन लाभ पहुंचाएगा और अपने साथ अलग अलग कामों के लिए जोड़ेगाI इस तरह से ६ करोड़ से अधिक लोगों को कुछ ना कुछ रोजगार मिलेगा एवं उसकी आय में वृद्धि होगी और उनका जीवन स्तर बेहतर होगा I
Subject Expert | Institute | Co-ordinator | Contact |
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Rural Craft and Artisans Development | IIT, Kanpur | Dr. Koumudi Patil Department of Humanities and Social Sciences, FB- 153, IIT Kanpur U.P. |
09935190698, 0512-259-7616, 0512-597167 (Office), 0512-591493 / 598473 kppatil@iitk.ac.in |
Rural Industrialization and Entrepreneurship Development | Mahatma Gandhi Institute for Rural Industrialization | Dr. K. R Yadav Dy Director Maganwadi, Wardha, Maharashtra – 442 001, |
09921530962 director.mgiri@gmail.com |
Involving Corporates in Rural Development | IIT, Guwahati | Dr. S.K Kakoty Dept. of Mechanical Engg. IIT Guwahati - 781039, India Prof. Saurabh Basu, Department of Physics Indian Institute of Technology Guwahati-7810399 Prof. Kuntil Bhuyan, Deputy Registrar, QIP Section Indian Institute of Technology Guwahati-781039 |
03612582711, saurabh@iitg.ernet.in 07086024171 kuntil@iitg.ernet.in 0361-2582659 |
Strategy for implementation & Social Acceptability | NIRD&PR Hyderabad | Dr Gyanmudra Centre for Human Resource Development NIRD Road, Rajendranagar Mandal, Hyderabad, Telangana 500030 |
040-24008406, 09848055881 gyanmudra.nird.gov.in |